भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले की मनाई जयंती




जयपुर: जस्टिस फॉर छाबड़ा जी संगठन की संयोजिका पूनम अंकुर छाबड़ा जयपुर नेहरू पार्क में आज सावित्री बाई फुले की जयंती मनाई गई।
पूनम अंकुर छाबड़ा ने कहा की सावित्री बाई फुले ने1 जनवरी , 1848 को पुणे में प्रथम बालिका विद्यालय की स्थापना की सावित्री बाई ने महिला शिक्षा के निसंदेह वह क्रांतिकारी काम था। अपने संघर्ष की बदौलत उन्होंने स्त्री शिक्षा का मार्ग प्रशस्त किया। भारत की इस महान नायिका का मानना था कि शिक्षा से ही मनुष्यत्व प्राप्त होता है और पशुत्व समाप्त होता है।
सावित्री बाई फुले ने अपना पूरा जीवन दबे- कुचले, शोषित- पीड़ित, दीन-हीन लोगों को शोषण से मुक्त्ति तथा अविद्या रूपी अंधकार को मिटाने में लगा दिया। सावित्री बाई जब कन्या पाठशाला में बालिकाओं को पढ़ाने जाया करती थी तो शुद्र-अति शूद्रों और नारी शिक्षा के विरोधी उन पर पत्थर और गोबर फैका करते थे। भारत की शोषित पीड़ित और अधिकारों से वंचित स्त्रियों की स्थिति में सुधार लाने के कार्य में उनका अग्रणीय स्थान है।
अज्ञान को मिटाकर ज्ञान की ज्योति जलाने वाली सावित्री बाई का एक ही मूलमंत्र था सबको मिले शिक्षा का अधिकार यही है मानव की तरक्की का आधार।
उन्होंने कहा कि केवल एक ही शत्रु है अपना, मिलकर निकाल देंगे उसे बाहर,उसके सिवा कोई शत्रु नहीं, उस शत्रु का नाम,वह तो है अविद्यारूपी 'अज्ञान'
इस प्रकार सावित्री बाई फुले ने महिला शिक्षा का अलख जगाकर सबके लिए शिक्षा के द्वार खोल दिए।
सावित्री बाई को उनके जन्म दिवस पर शत शत नमन करते हुए शहीद गुरुशरण छाबड़ा जी की शहादत को वंदन करते हुए पूनम अंकुर छाबड़ा ने अंत में कहा कि आज पूरा देश नशे का शिकार हो रहा है आज के युवा शराब पीकर अपने जीवन को गर्थ में डाल रहे है। शराबबन्दी को लेकर पूनम अंकुर छाबड़ा ने ने कहा कि
शराब में जो डूब गए,अब निकलना सीखो।
जीने की तमन्ना है तो ए नोजवाने हिन्द एक बार शराब छोड़कर देखो। अनन्त अपनी वाणी को विराम दिया। कार्यक्रम में महिला आयोग की अध्यक्ष सुमन शर्मा, श्रीमती इंद्रावती जी ,महत्ता राम काला जी, शनिंग विमेंस, भावना जी, भाई गोपाल केशावत जी पूर्व राज्य मंत्री आदि मौजूद रहे।

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