चौहटन में चल रहा करोड़ो के भ्रष्टाचार का खेल




                                                       धीरे-धीरे खुल रही हैं भ्रष्टाचार की परते


बाड़मेर:  जिले की चौहटन पंचायत समिति को देखने में सीमावर्ती पिछड़ी लगती हैं परतुं अधिकारी और कर्मचारी अपने आप को बीपीएल से एपीएल करने के लिए जनप्रतिधियों को अपनी नियुक्ति इसी पंचायत समिति में करवाने के लिए हर तरफ के हथकण्डे अपनाने में पीछे नही रहते हैं।

यहाँ पर सामान्य योजनाओं से लेकर महात्मा गांधी नरेगा योजना तक बिना किसी काम तथा कागजात के कई उदाहरण मिलेंगे जिनके पैसे पंचायत समिति के अधिकारियो एवं ग्राम पंचायत के कर्मचारियों तथा जनप्रतिनिधियो द्वारा उठा लिया जाता हैं। जब कोई बड़े घोटाले की बात उठती हैं तो उसे पैसों के बल पर दबा जी जाती हैं। 

कुछ उदाहरण के तौर पर तो ये जनप्रतिनिधि और अधिकारियो भी अपने गबन की राशि के बंटवारे को लड़ जाते हैं और पंचायत समिति से स्थानांतरण करवाने या मूल विभाग में भेजने की धमकियां मिलती हैं। 

आज से चार वर्ष पहले ग्राम पंचायत कोनरा में 70-80 लाख का बिना श्रमिकों की जानकारी के मस्ट्रोल में नाम लिखकर भुगतान ग्राम सेवक, रोजगार सहायक , कनिष्ठ तकनीकी सहायक और सरपंच द्वारा गबन किया जिसमें ग्राम पंचायत स्तर पर पंच-पंचायती कर पैसे के बल पर मामला दबा दिया परन्तु जिला स्तर के तकनीकी एवं प्रशासनिक अधिकारियो द्वारा गबन बताकर रोजगार सहायक और दो कनिष्ठ तकनीकी सहायकों की सविंदा सेवा समाप्त कर , ग्राम सेवक को नोटिस से मामला ठंडे बस्ते में डालकर पैसे के बल पर जांच किसी अन्य का आदेश बदलकर पूर्व की सब जाँचो को झूठ मानते हुए एक साल बाद रोजगार सहायक और कनिष्ठ तकनीकी सहायक की सविंदा सेवा बहाल करना एक सोचने के लिए मजबूर करने का विषय बन गया हैं। 


इसी तरह का विषय कुछ समय पहले और देखने को मिला जिसमें भगाराम विकास अधिकारी ने अपने कार्यालय के सुरजनराम एमआईएस मैनेजर को बिना किसी जानकारी एवं बिना कोई तकनीकी योग्यता के अपने मूल पद के साथ साथ कनिष्ठ तकनीकी सहायक का आदेश जारी कर मस्ट्रोलो पर बिना कोई ग्राम पंचायत के पारित आदेश और बिना कोई नाप-मूल्यांकन के पंचायत समिति के एवं बिलों का भुगतान बिना कोई स्थाई समिति के अनुमोदन और बिना माप पुस्तिका में तकनीकी कर्मचारी के मूल्यांकन भवरलाल फुलवारिया लेखाकार और भगाराम विकास अधिकारी ने करीब एक करोड़ तीस लाख का गबन कर ग्राम पंचायत व पंचायत समिति स्तर पर सभी ने मिल बाँटकर खा लिये। जब उक्त प्रकरण का सुरजन राम स्वयं को पता लगा तो उसने पुलिस थाना चौहटन में गबन का प्रकरण दर्ज करवाने का प्रार्थना पत्र दिया तो थानेदार साब को पंचायत समिति पंचायत समिति के जनप्रतिनिधियो ने प्रकरण दर्ज नही करने का दबाव बनाया तो परिवादी ने कोर्ट के मार्फत इस्तगासा पेश कर FIR दर्ज करने का निवेदन किया तो भगाराम विकास अधिकारी , सरपंच , ठेकेदार परिवादी को दस लाख रूपये तक का लालच देने लगे परन्तु मामला कोर्ट और एसीबी तथा सीबीआई एंटी करेप्शन सभी जगह लम्बित होने के कारण समझौते वाली बात अभी तक बैठ नही पायी। देखते है ये पैसे के बल दबेगा या वास्तविकता उजागर कर पायेगा । 

आज इस पंचायत समिति के पंचायत समिति स्तर पर आवंटित बजट की शिकायत कैलाश शर्मा पंचायत समिति सदस्य द्वारा की गई जिसका जिला स्तर पर कमेटी का गठन कर जाँच की गयी जाँच में अनियमितता पायी गयी परन्तु तब तक भुगतान हो चूका था। इस पंचायत समिति में आज तक जितने भी मामले उजागर हुए उससे पहले ही पैसे के बल समाधान हो गए। जिससे देखने से यह लोकोक्ति साफ साफ ज़ाहिर हो रही हैं "पैसा भगवान तो नही परन्तु पैसा भगवान से कम नही हैं" व "पैसा तेरी तीख़ी धार मर जाये मुंशी और थानेदार"
इन सभी प्रकरणों पर पंचायत समिति स्तर से कुछ अधिकारी , कर्मचारी या जनप्रतिनिधियो से ख़ुलासे की कोशिश की तो आगे आकर कुछ भी बोलने को तैयार नही हैं। 
कुछ समय पहले स्वच्छ भारत मिशन में भगाराम विकास अधिकारी ने आमलोगों से मिलकर तीन सौ के लगभग व्यक्तियों के एक ही व्यक्ति के तीन-तीन बारह हजार की राशि डाल दी जिसका खुलासा आज दिन तक न होना राज का विषय हैं।

Source: सांचौर ब्रैकिंग न्यूज़

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