प्रदेश में इन्टीग्रेटेड ई-पंचायत सॉफ्टवेयर व्यवस्था 1 अप्रेल से होगी लागू




प्रदेश में इन्टीग्रेटेड ई-पंचायत सॉफ्टवेयर व्यवस्था अप्रेल से लागू पंचायती राज संस्थाआें की कार्यप्रणाली में आएगी पारदर्शिता 

जयपुर:
”मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे की 2016-17 बजट घोषणा की पालना में पंचायती राज संस्थाओं की कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाने के लिए एवं पंचायतों द्वारा कराये जा रहे कार्यों की सम्पूर्ण जानकारी आमजन को सहजता से उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य में 1 अप्रेल, 2017 से राजस्थान ई-पंचायत व्यवस्था लागू की जावेगी, जिससे सम्पूर्ण सूचनायें Public Domain पर उपलब्ध हो सकेगी।‘‘ 
इस ई-पंचायत साफ्टवेयर के माध्यम से विभाग वर्तमान में कितनी राशि ग्राम पंचायतों, पंचायत समिति एवं जिला परिषद के खातों में अवशेष पड़ी हुई राशि की जानकारी के साथ बेहतर वित्तीय प्रबंधन संभव हो सकेगा एवं सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ोें रुपयों की बचत होगी। 

ई-पंचायत व्यवस्था लागू होने पर विभिन्न योजनाओं की राशि का भुगतान करने की संपूर्ण कार्यवाही संबंधित ग्राम पंचायत द्वारा ही सुनिश्चित की जायेगी, जो भुगतान ग्राम पंचायतों द्वारा वर्तमान में चैक के माध्यम से किया जा रहा है, वह भुगतान संबंधित व्यक्तियों, संस्थाओं के खाते में ग्राम पंचायतों द्वारा जमा करवाया जायेगा। ई-पंचायत सॉफ्टवेयर से सरपंच एवं सचिवों के अधिकारों का कोई हनन नहीं होगा परंतु राजकोष के समुचित उपयोग एवं पारदर्शिता में काफी वृद्धि होगी। वर्तमान में महात्मा गांधी नरेगा योजना में इसी तरह का सॉफ्टवेयर की व्यवस्था संपूर्ण देश में लागू है तथा प्रभावी रूप से कार्य कर रहा है। राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के विकास हेतु पंचायती राज संस्थाओं को प्रतिवर्ष लगभग 6 हजार करोड़ रुपए की राशि पंचायती राज के माध्यम से उपलब्ध करवायी जाती है। इस राशि का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश सुविधाओं का विकास करना है। कायोर्ंं का चयन ग्राम सभा द्वारा ही किया जाता है। राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करवायी जा रही राशि की जानकारी जनता का बिना सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटे सहजता से मिल सके, इस उद्देश्य से एक सॉफ्टवेयर का निर्माण करवाया गया है इस सॉफ्टवेयर में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों की जानकारियां सहजता से उपलब्ध हो सकेंगी।

ई-पंचायत सॉफ्टवेयर के माध्यम से विभिन्न कार्य होंगे संपादित


ग्रामीण जनता द्वारा अपेक्षित कार्यों के प्रस्ताव इस सॉफ्टवेयर पर ऑनलाइन दिये जा सकते हैं एवं ग्राम पंचायत की वार्षिक विकास कार्य योजना बनाते वक्त इन सभी कार्यों को विचारार्थ प्रस्तुत किया जायेगा। 
ग्राम सभा द्वारा तय की गई वार्षिक कार्य योजना पंचायत के पोर्टल पर उपलब्ध हो सकेगी। वर्तमान में कार्यों की प्रशासनिक, वित्तीय एवं तकनीकी स्वीकृतियां कम समय में जारी हो सकेंगी तथा इसी प्रकार निर्माण कार्यों के लिए मस्टररोल भी पंचायत स्वयं जारी कर सकेगी। कार्यों पर व्यय की जाने वाली राशि का भुगतान इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से संबंधित पंचायत के सरपंच एवं ग्राम सेवक द्वारा सीधे ही सामग्री आपूर्तिकर्ता के बैंक खाते में किया जा सकेगा। इसी प्रकार श्रमिकों को भी सीधे ही भुगतान उनके बैंक खातों में हो सकेगा एवं समस्त भुगतान की कार्यवाही सरपंच एवं ग्राम सेवक द्वारा की जा सकेगी। इसमें किसी अन्य संस्था का दखल नहीं होगा। कैश बुक आदि भी इसी सॉफ्टवेयर के माध्यम से संधारित होंगी। इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से निर्माण कार्यों की प्रगति नियमित रूप से स्वतः ही सृजित हागी। पंचायत समिति एवं जिला परिषद् को प्रगति भिजवाने की आवश्यकता नहीं रहेगी। ई-पंचायत सॉफ्टवेयर के माध्यम से बेहतर प्लानिंग करना संभव हो सकेगा एवं दूसरे विभागों द्वारा किस पंचायत में क्या कार्य किये जायेंगे इसकी सूचना भी आम जनता का तथा संबंधित पंचायत को भी पूर्व से ही उपलब्ध रहेगी। इस प्रकार पंचायत के नियंत्रण में उपलब्ध सॉफ्टवेयर पर राज्य सरकार की विभिन्न विकास योजनाओं की संपूर्ण जानकारी उपलब्ध हो सकेगी एवं आम जनता को इसका पूर्ण लाभ मिल सकेगा। 
ई-पंचायत सॉफ्टवेयर के माध्यम से कार्यों के चयन, वार्षिक कार्य योजना तैयार करना (जीपीडीपी), जीओ टेगिंग करना, एमआईएस मैपिंग, कायोर्ं की स्वीकृतियां जारी करना, राशि प्राप्त करना, राशि भुगतान करना, कार्यों का निरीक्षण, यूसीसीसी जारी करना, समायोजन, आगामी किश्त की मांग करना, विभिन्न प्रकार की बैठकें, प्रशिक्षण, मानव संसाधन प्रबंधन एवं अन्य सॉफ्टवेयर के साथ इंटीग्रेशन आदि कार्य किये जाने हैं। यह सुविधायें ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध होंगी जो रियल टाईम बेसिस पर कार्य करेगा। इस सॉफ्टवेयर से अन्य सॉफ्टवेयर को इंटीग्रेट किया जायेगा, इस प्रकार इस सॉफ्टवेयर में सूचना दर्ज होने के उपरांत वह सूचना अन्य सभी विभागों जैसे प्रिया सॉफ्ट, प्लान प्लस, राज्य सरकार के अन्य सॉफ्टवेयर के साथ वैब सर्विस से इंटीग्रेट की जावेगी इससे दोहरे डाटा इंद्राज का कार्य खत्म हो जायेगा। व्यक्तिगत लाभ के कार्यों की जानकारी भी इसी सॉफ्टवेयर पर उपलब्ध हो सकेगी। 

ग्रामीण विकास में होने वाले व्यय की होगी प्रभावी मॉनिटरिंग ः  

इन्टीग्रेटेड ई-पंचायत सॉफ्टवेयर से पंचायती राज संस्थाओ के माध्यम से विकास कार्यों हेतु लगभग 
5000 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष उपलब्ध कराये जाते हैं परन्तु पंचायती राज में मॉनिटरिंग की कोई ठोस व्यवस्था नहीं होने से इन योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। व्यय राशि, सृजित परिसंपत्तियों की जानकारी यथासमय प्राप्त नहीं हो पाती हैं। वर्ष 2014-15 में राज्य वित्त आयोग एवं केन्द्रीय वित्त आयोग मद में उपलब्ध करवायी गयी राशि में व्यय राशि एवं इससे सृजित परिसंपत्तियों की जानकारी लगभग 2 वर्ष बाद भी प्राप्त नहीं हो रही है। राज्य, केन्द्रीय वित्त आयोग की अभिशंषा के अनुसार राशि उपलब्ध करवाना बाध्यता है परंतु इसका उपयोग सुनिश्चित करना विभाग की प्राथमिकता है। 


आठ हजार ग्राम पंचायतों को दिया प्रशिक्षण ः 

ई-पंचायत सॉफ्टवेयर के संचालन हेतु दिया गया प्रशिक्षण ई-पंचायत सॉफ्टवेयर के संचालन हेतु सभी 33 जिलों एवं 295 पंचायत समितियों में दक्ष प्रशिक्षक उपलब्ध हैं। अभी तक 295 पंचायत समितियों एवं 8005 ग्राम पंचायतों को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में सरपंचगण द्वारा भी भाग लिया गया है। जिलाें में 1 अप्रेल, 2017 से सभी विभागीय योजनाओंं की प्रभावी क्रियान्विति सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये तथा 1 अप्रेल, 2017 के पश्चात् समस्त भुगतान ऑनलाइन के आधार पर किया जायेगा । 

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