वृद्धजन अपने अनुभव व ज्ञान से देश व समाज की प्रगति में योगदान दें-54 वृद्धजनों को किया सम्मानित-सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री



जयपुर: देश में विभिन्न सेवा से जुड़े सेवानिवृत्त वृद्धजनों को उनके अनुभवों के ज्ञान से देश व समाज की प्रगति में सक्रिय योगदान देने के लिए आगे आना चाहिए जिससे देश के दूरदराज में शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य सुविधाओं से वंचित लोगाें को फायदा मिल सके तथा समाज की मुख्य धारा में जुड़ सकें। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने यह बात शनिवार को अन्तर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के अवसर पर इंदिरा गांधी पंचायतीराज एवं प्रशिक्षण संस्थान में आयोजित राज्य स्तरीय वृद्धजन सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर डॉ. चतुर्वेदी एवं निदेशक, श्री रवि जैन ने विभिन्न क्षेत्रों में समाज के  लिए श्रेष्ठ कार्य करने वाले 54 वृद्धजनों को शॉल ओढ़ाकर, श्रीफल भेंट करने के साथ स्मृति चिन्ह व प्रमाण पत्र प्रदान सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि वृद्धजनों ने अपने जीवन में शिक्षा, चिकित्सा अन्य जनसेवा में कार्य करते हुए कई अच्छे अनुभव व ज्ञान के भंडार समेट रखे हैं जिनका लाभ समाज को मिले, इस तरह के कार्यक्रम व योजनाएं तैयार की जानी चाहिए। 
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में संयुक्त परिवार की परिकल्पना रही है लेकिन आज यह परम्परा धीरे-धीरे कम होती जा रही है जिससे वृद्धजनों का आज की युवा पीढ़ी को पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि विदेशों में एक परिवार की संस्कृति को छोड़कर हमारी संयुक्त परिवार की संस्कृति को अपना रहे हैं जबकि हमारी युवा पीढ़ी एकल परिवार को बढ़ावा दे रही है जिससे बच्चों पर सुसंस्कार का अभाव देखने को मिल रहा है। इसलिए बुजुर्गों को अपने साथ रखने चाहिए जिससे उनके अनुभवों से आने वाली पीढ़ियाें को अच्छे संस्कार मिल सकेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे देश में ऎसा वातावरण तैयार किया जाये जिससे बुजुर्गों को वृद्धाश्रम में नहीं जाना पड़े तथा इसके लिए हमारी पुरातन संयुक्त परिवार की संस्कृति को वापस अपनाना पड़ेगा। समारोह की अध्यक्षता करते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक श्री रवि जैन ने उपस्थित वृद्धजनों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज के युग में हर आदमी आपाधापी के इस जीवन में स्वार्थी होता जा रहा है। बच्चे व युवा सिर्फ अपने लिए जी रहे हैं।
परिवार के संरक्षक माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी के लिए समय नहीं है जो आने वाले समय में समाज के लिए दुःखदायी साबित होगा। उन्होंने वृद्धजनों का आह्वान किया कि आप अनुभवों की खान हैं। इन अनुभवों को भावी पीढ़ी को सही मार्ग दिखाने के लिए उपयोग करें। उन्होंने कहा कि आज समाज में बुजुर्गों के सम्मान की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा वृद्धजनों के अनुभवों का लाभ समाज तक पहुंचाने के लिए पूरे प्रयास किये जायेंगे। इस अवसर पर डॉ. चतुर्वेदी ने भरतपुर जिले की वृद्धजन महिला कुमारी गंगादेवी द्वारा ’’कब-बुलबुल के गीत उत्साहित करते बच्चों’’ शीर्षक पर लिखी पुस्तक का लोकार्पण किया तथा समारोह में आये वृद्धजनों ने राष्ट्रभक्ति व अनुभव पर आधारित गीत एवं कविताएं प्रस्तुत की। इस अवसर पर विभाग के अतिरिक्त निदेशक (प्रशासन) श्री एम.पी.मीणा, अतिरिक्त निदेशक (सामाजिक सुरक्षा) श्रीअशोक जांगिड़, अतिरिक्त निदेशक (देवनारायण) श्री डालचन्द वर्मा सहित विभिन्न डे-केयर सेंटरों के बुजुर्ग व विभाग के संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।  

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